000 | 01458nam a2200265Ia 4500 | ||
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003 | OSt | ||
005 | 20240405110116.0 | ||
008 | 240405b |||||||| |||| 00| 0 eng d | ||
020 | _a9789387462298 | ||
040 | _cIISER BPR | ||
041 | _aHindi | ||
082 |
_a891.2109 _bKAL _223rd |
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100 | _aKalidas | ||
245 | 0 |
_aMeghdoot : _bEk adhyayan _6880.02 |
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250 | _a2nd ed. | ||
260 |
_aNew delhi : _bRajkamal Prakashan, _c2023. |
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300 |
_a255p : _bpbk. ; _c22cm. |
||
546 | _aमहाकवि कालिदास की कालजयी कृति 'मेघदूत' सदियों से प्रेम और विरह की श्रेष्ठ अभिव्यक्ति के रूप में समादृत रही है। संस्कृत साहित्य में 'उपमा कालिदासस्य' प्रसिद्ध उक्ति है ही और इस कृति में कालिदास की रचनात्मकता शिखर पर है। इसीलिए 'मेघदूत' शताब्दियों से काव्य का प्रतिमान रहा है। | ||
650 | _aSanskrit Literature | ||
650 | _aSanskrit Poetry - History & Criticism | ||
650 | _aKalidas - Criticism | ||
700 |
_aAgrawal, Vasudeo Sharan _4Tr. |
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880 |
_aमेघदूत : एक अध्ययन _6245.02 |
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942 |
_cBK _2ddc |
||
999 |
_c3986 _d3986 |