Kavita sadi : Adhunika hindi kavita ka pratinidhi sanchayan
Suresh Salil
Kavita sadi : Adhunika hindi kavita ka pratinidhi sanchayan - 2nd ed. - New Delhi : Rajpal and Sons, 2018. - 624p. : pbk. ; 22cm.
कविता सदीआधुनिक हिन्दी कविता का प्रतिनिधि संचयन है जिसमें आधुनिक हिन्दी के जन्मदाता भारतेन्दु हरिश्चंद्र से समकालीन हिन्दी कविता के अग्रगण्य कवि सम्मिलित हैं। यह चयन एक जिल्द में आधुनिक हिन्दी कविता की सुनहरी तस्वीर है जिसमें पिछले डेढ़ सौ वर्षों के हिन्दी कविता के भिन्न-भिन्न आन्दोलनों, प्रवृत्तियों और शैलियों की झलक मिलती है। यहाँ नवजागरणकालीन कवियों की बानी है तो छायावाद के कोमल स्वर भी, प्रगतिशील कविता के मील पत्थर हैं तो प्रयोगवाद और नयी कविता की विशिष्ट कविताएँ भी। दलित और स्त्री अस्मिताओं के प्रतिनिधि कवियों को यहाँ पढ़ा जा सकता है और समकालीन कविता के शीर्ष कवियों को भी।हिन्दी कविता के इस चयन को तैयार किया है सुपरिचित कवि, लेखक, आलोचक और अनुवादक सुरेश सलिल ने। 19 जून 1942 में जन्मे सुरेश सलिल हिन्दी, उर्दू और अंग्रेज़ी के विद्वान हैं। अब तक उनके छह मौलिक कविता-संग्रह प्रकाशित हैं और अनेक काव्य अनुवाद भी, जिसमें मुख्य है - बीसवीं सदी की विश्व कविता का बृहत् संचयन : रोशनी की खिड़कियाँ । हाल ही में उनके द्वारा सम्पादित कारवाने-ग़ज़ल (आठ सौ वर्षों की ग़ज़लों का सफ़रनामा) को आलोचकों और पाठकों, दोनों ने ही सराहा है
9789386534507
Hindi Literature
Hindi Poetry - Collections
891.431 / SUR
Kavita sadi : Adhunika hindi kavita ka pratinidhi sanchayan - 2nd ed. - New Delhi : Rajpal and Sons, 2018. - 624p. : pbk. ; 22cm.
कविता सदीआधुनिक हिन्दी कविता का प्रतिनिधि संचयन है जिसमें आधुनिक हिन्दी के जन्मदाता भारतेन्दु हरिश्चंद्र से समकालीन हिन्दी कविता के अग्रगण्य कवि सम्मिलित हैं। यह चयन एक जिल्द में आधुनिक हिन्दी कविता की सुनहरी तस्वीर है जिसमें पिछले डेढ़ सौ वर्षों के हिन्दी कविता के भिन्न-भिन्न आन्दोलनों, प्रवृत्तियों और शैलियों की झलक मिलती है। यहाँ नवजागरणकालीन कवियों की बानी है तो छायावाद के कोमल स्वर भी, प्रगतिशील कविता के मील पत्थर हैं तो प्रयोगवाद और नयी कविता की विशिष्ट कविताएँ भी। दलित और स्त्री अस्मिताओं के प्रतिनिधि कवियों को यहाँ पढ़ा जा सकता है और समकालीन कविता के शीर्ष कवियों को भी।हिन्दी कविता के इस चयन को तैयार किया है सुपरिचित कवि, लेखक, आलोचक और अनुवादक सुरेश सलिल ने। 19 जून 1942 में जन्मे सुरेश सलिल हिन्दी, उर्दू और अंग्रेज़ी के विद्वान हैं। अब तक उनके छह मौलिक कविता-संग्रह प्रकाशित हैं और अनेक काव्य अनुवाद भी, जिसमें मुख्य है - बीसवीं सदी की विश्व कविता का बृहत् संचयन : रोशनी की खिड़कियाँ । हाल ही में उनके द्वारा सम्पादित कारवाने-ग़ज़ल (आठ सौ वर्षों की ग़ज़लों का सफ़रनामा) को आलोचकों और पाठकों, दोनों ने ही सराहा है
9789386534507
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891.431 / SUR