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कविता सदी : आधुनिक हिन्दी कविता का प्रतिनिधि संचयन

Kavita sadi : Adhunika hindi kavita ka pratinidhi sanchayan

By: Material type: TextTextLanguage: Hindi Publication details: New Delhi : Rajpal and Sons, 2018.Edition: 2nd edDescription: 624p. : pbk. ; 22cmISBN:
  • 9789386534507
Subject(s): DDC classification:
  • 891.431 SUR 23rd
Summary: कविता सदीआधुनिक हिन्दी कविता का प्रतिनिधि संचयन है जिसमें आधुनिक हिन्दी के जन्मदाता भारतेन्दु हरिश्चंद्र से समकालीन हिन्दी कविता के अग्रगण्य कवि सम्मिलित हैं। यह चयन एक जिल्द में आधुनिक हिन्दी कविता की सुनहरी तस्वीर है जिसमें पिछले डेढ़ सौ वर्षों के हिन्दी कविता के भिन्न-भिन्न आन्दोलनों, प्रवृत्तियों और शैलियों की झलक मिलती है। यहाँ नवजागरणकालीन कवियों की बानी है तो छायावाद के कोमल स्वर भी, प्रगतिशील कविता के मील पत्थर हैं तो प्रयोगवाद और नयी कविता की विशिष्ट कविताएँ भी। दलित और स्त्री अस्मिताओं के प्रतिनिधि कवियों को यहाँ पढ़ा जा सकता है और समकालीन कविता के शीर्ष कवियों को भी।हिन्दी कविता के इस चयन को तैयार किया है सुपरिचित कवि, लेखक, आलोचक और अनुवादक सुरेश सलिल ने। 19 जून 1942 में जन्मे सुरेश सलिल हिन्दी, उर्दू और अंग्रेज़ी के विद्वान हैं। अब तक उनके छह मौलिक कविता-संग्रह प्रकाशित हैं और अनेक काव्य अनुवाद भी, जिसमें मुख्य है - बीसवीं सदी की विश्व कविता का बृहत् संचयन : रोशनी की खिड़कियाँ । हाल ही में उनके द्वारा सम्पादित कारवाने-ग़ज़ल (आठ सौ वर्षों की ग़ज़लों का सफ़रनामा) को आलोचकों और पाठकों, दोनों ने ही सराहा है
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कविता सदीआधुनिक हिन्दी कविता का प्रतिनिधि संचयन है जिसमें आधुनिक हिन्दी के जन्मदाता भारतेन्दु हरिश्चंद्र से समकालीन हिन्दी कविता के अग्रगण्य कवि सम्मिलित हैं। यह चयन एक जिल्द में आधुनिक हिन्दी कविता की सुनहरी तस्वीर है जिसमें पिछले डेढ़ सौ वर्षों के हिन्दी कविता के भिन्न-भिन्न आन्दोलनों, प्रवृत्तियों और शैलियों की झलक मिलती है। यहाँ नवजागरणकालीन कवियों की बानी है तो छायावाद के कोमल स्वर भी, प्रगतिशील कविता के मील पत्थर हैं तो प्रयोगवाद और नयी कविता की विशिष्ट कविताएँ भी। दलित और स्त्री अस्मिताओं के प्रतिनिधि कवियों को यहाँ पढ़ा जा सकता है और समकालीन कविता के शीर्ष कवियों को भी।हिन्दी कविता के इस चयन को तैयार किया है सुपरिचित कवि, लेखक, आलोचक और अनुवादक सुरेश सलिल ने। 19 जून 1942 में जन्मे सुरेश सलिल हिन्दी, उर्दू और अंग्रेज़ी के विद्वान हैं। अब तक उनके छह मौलिक कविता-संग्रह प्रकाशित हैं और अनेक काव्य अनुवाद भी, जिसमें मुख्य है - बीसवीं सदी की विश्व कविता का बृहत् संचयन : रोशनी की खिड़कियाँ । हाल ही में उनके द्वारा सम्पादित कारवाने-ग़ज़ल (आठ सौ वर्षों की ग़ज़लों का सफ़रनामा) को आलोचकों और पाठकों, दोनों ने ही सराहा है

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